
उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा:
उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा इस पहाड़ी राज्य की सांस्कृतिक विविधता, जलवायु और लोकजीवन को सुंदरता से दर्शाती है। यह वेशभूषा क्षेत्र के दो प्रमुख भागों – गढ़वाल और कुमाऊं – में थोड़ी भिन्न होते हुए भी पारंपरिक और प्रकृति से जुड़ी होती है।
गढ़वाल की महिलाओं की वेशभूषा
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घाघरा या लेंगा – मोटे कपड़े का लंबा, घेरदार स्कर्ट जैसा वस्त्र जो कमर से नीचे पहना जाता है।
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चोली या कुर्ती – ऊपर पहनने के लिए रंगीन और कसी हुई चोली।
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ओढ़नी / पिछौड़ा – सिर और कंधों को ढकने वाली रंगीन ओढ़नी। पिछौड़ा विशेष रूप से विवाह या धार्मिक कार्यों में पहना जाता है – इसमें लाल, पीले और भगवा रंग के साथ शुभ चिन्ह बने होते हैं जैसे स्वस्तिक, श्री, सूर्य, बेलपत्र आदि।
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गहने – नथ (नाक की बड़ी बाली), चूड़ा, पौंची (हाथों की चूड़ियाँ), गुलोबंद, हंसुली, और कानफूल। ये चांदी और सोने से बने होते हैं और विशेष अवसरों पर पहने जाते हैं।
पुरुषों की वेशभूषा
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चूड़ीदार पायजामा और कुर्ता – पारंपरिक कपड़े, सफेद या हल्के रंगों में।
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वस्त्र के ऊपर अंगरखा या जैकेट – ठंड से बचाव हेतु।
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टोपी – गढ़वाली टोपी सम्मान और परंपरा का प्रतीक है।
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धोती / लुंगी – पुराने समय में विशेष अवसरों पर पहनी जाती थी।
कुमाऊं की महिलाओं की वेशभूषा
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घाघरा और ओढ़नी – गहरे रंगों में होती है और कढ़ाईदार होती है।
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पिचौरा – दुल्हन की पोशाक का अहम हिस्सा। यह पीले कपड़े पर लाल डिज़ाइन से बना होता है।
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गहने – नथ, तिलहरी (मंगलसूत्र जैसा हार), गलोबंद, चूड़ी, कंगन, बिचुए और पायल।
पुरुषों की वेशभूषा
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कुर्ता और धोती/पायजामा – पारंपरिक पोशाक।
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कमरबंद (पटका) – कभी-कभी कमर पर बांधा जाता है।
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कुमाऊँनी टोपी – यह क्षेत्र की पहचान मानी जाती है।
वेशभूषा में रंगों और कढ़ाई का महत्व:
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उत्तराखंड की वेशभूषा में परंपरागत रंग जैसे लाल, पीला, भगवा, नीला अधिक उपयोग में आते हैं।
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खास मौकों जैसे शादी, पूजा, पर्व आदि में विशेष डिज़ाइन वाले वस्त्र और पिछौड़ा उपयोग किया जाता है।
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ग्रामीण महिलाएं अपनी वेशभूषा को स्वयं बुनती या तैयार करती थीं, जिससे इसमें लोककला और हस्तकला का सुंदर मेल होता था।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
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विवाह, देवी पूजन, मेले, और त्योहारों में यह वेशभूषा विशेष रूप से पहनी जाती है।
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पहाड़ की वेशभूषा न केवल सुंदरता का प्रतीक है बल्कि जलवायु, परंपरा, और सांस्कृतिक जड़ों से भी गहराई से जुड़ी है।
उत्तराखंड की वेशभूषा यहाँ की परंपरा, आस्था, और जीवनशैली का सजीव चित्रण है। यह न केवल एक पहनावा है, बल्कि एक संस्कृति की पहचान है, जो सदियों से महिलाओं और पुरुषों द्वारा गर्व के साथ अपनाई जाती रही है।