
केदारनाथ: बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, भगवान शिव को समर्पित:
चारधाम यात्रा का तीसरा धाम केदारनाथ उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यह भगवान शिव को समर्पित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चारधाम यात्रा तथा पंचकेदारों में सबसे प्रमुख माना जाता है। भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण धाम है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और मन्दाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है।
इतिहास और धार्मिक महत्व:
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कहा जाता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने 8वीं सदी में करवाया था।
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मंदिर की मान्यता महाभारत काल से जुड़ी है। युद्ध के पश्चात पांडवों ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की खोज की।
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भगवान शिव उनसे छिप गए और केदार की भूमि में बैल (नंदी) का रूप धारण कर लिया। जब पांडवों ने उन्हें पहचान लिया, तो शिव जी धरती में समा गए और उनकी पीठ केदारनाथ में प्रकट हुई। वहीं मंदिर की स्थापना हुई।
भूगोल और स्थलाकृतिक स्थिति:
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केदारनाथ चारों ओर से बर्फ से ढके पर्वतों से घिरा है, जिनमें मुख्य हैं:
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केदार डोम (6,940 मी.)
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भागीरथी पर्वत
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यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता और अध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है।
मंदाकिनी नदी:
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मंदिर के समीप से बहने वाली मंदाकिनी नदी इस क्षेत्र को और अधिक पवित्र बनाती है।
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यह नदी आगे जाकर अलकनंदा में मिलती है।
धार्मिक गतिविधियाँ:
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यहाँ पर दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष आते हैं।
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मंदिर का पट अक्षय तृतीया को खुलता है और भैयादूज (दीपावली के बाद) बंद हो जाता है।
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सर्दियों में मंदिर बंद होने के बाद भगवान शिव की मूर्ति को ऊखीमठ ले जाया जाता है, जहाँ उनकी पूजा की जाती है।
यात्रा मार्ग:
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पहले केदारनाथ तक 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा होती थी, जो अब पुनर्निर्माण के बाद बढ़कर लगभग 16-18 किलोमीटर हो गई है (गौरीकुंड से केदारनाथ तक)।
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निकटतम स्थान:
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रेलवे स्टेशन: ऋषिकेश (215 किमी दूर)
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हवाई अड्डा: जॉलीग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून
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गौरीकुंड तक सड़क मार्ग उपलब्ध है, वहाँ से पैदल या खच्चर/पालकी/हेलिकॉप्टर द्वारा यात्रा होती है।
2013 की आपदा और पुनर्निर्माण:
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जून 2013 में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण केदारनाथ में भीषण आपदा आई।
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मंदिर को छोड़कर आसपास का पूरा क्षेत्र नष्ट हो गया था।
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मंदिर को एक बड़ी चट्टान ने पीछे से बचा लिया, जिसे अब “भीम शिला” कहते हैं।
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आपदा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण कार्य किए गए।
मौसम:
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मई से जून और सितंबर से अक्टूबर तक यहाँ का मौसम यात्रा के लिए उपयुक्त होता है।
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सर्दियों में बर्फबारी के कारण मंदिर बंद रहता है।
केदारनाथ केवल एक तीर्थ स्थान नहीं, बल्कि एक आस्था का प्रतीक, प्रकृति का चमत्कार और शिवभक्तों के लिए मोक्षधाम है। इसकी यात्रा कठिन जरूर है, लेकिन यहाँ पहुँचने के बाद हर भक्त को अध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का अनुभव होता है।