राजनीतिक तूफान दिल्ली में: संसद से चुनाव आयोग तक विरोध मार्च।

बिहार में मतदाता सूची के स्निग्ध सुधार यानी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्षी दलों की नाराजगी चरम पर पहुँच गई। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया में भारी कागज़ी दस्तावेज चाहते हुए, गरीब, अल्पसंख्यक और वंचित जनों के वोटिंग अधिकार छीनने की कोशिश हो रही है। यह आरोप ‘वोट चोरी’ का रूप ले चुका है, जो संवैधानिक अधिकार—‘एक व्यक्ति, एक वोट’—पर सीधा हमला माना जा रहा है।

विरोध मार्च: संसद से चुनाव आयोग तक

11 अगस्त 2025: इंडिया ब्लॉक की प्रस्तावित शक्ति-प्रदर्शन

  • नेतृत्व: राहुल गांधी के नेतृत्व में, कांग्रेस, सपा, तृणमूल, एनसीपी, शिवसेना (UBT), और कई अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन से चुनाव आयोग (ECI) के कार्यालय, निर्वाचन सदन तक पैदल मार्च निकालने का निर्णय लिया।
  • नारा-बाजी और प्रतीकात्मक प्रदर्शन: ‘वोट चोरी’, ‘SIR’, ‘एक व्यक्ति—एक वोट’ जैसे नारों के साथ प्रदर्शन हुआ। कई नेताओं ने लाल क्रॉस लगे सफेद टोपी पहन रखी थी, जो विरोध का प्रतीक बन गई।

पुलिस का कड़ा रुख और गिरफ्तारी

  • अनुमति का अभाव: दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया कि इस मार्च के लिए कोई अनुमति (NOD) नहीं मांगी गई थी।
  • रास्ता रोका: संसद से मार्च शुरू हुआ, लेकिन जैसे-तैसे परिवहन भवन के पास भारी बैरिकेडिंग के ज़रिए मार्च को रोक दिया गया।
  • गिरफ्तारी और हिरासत: राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव, सागरिका घोष, संजय राउत जैसे कई नेताओं को कुछ समय के लिए हिरासत में लिया गया। इन्हें संसद मार्ग थाने तक ले जाया गया।
  • दृश्य नाटकीय: सपा प्रमुख अखिलेश यादव बैरिकेड पार कर गए और कुछ महिला सांसद—जैसे महुआ मोइत्रा और संजना जाटव—बैरिकेड चढ़कर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। कई सांसद सड़कों पर बैठकर नारेबाजी करते रहे।

नेताओं के बयान और भावनात्मक पल

  • राष्ट्रहित की लड़ाई: राहुल गांधी ने हिरासत के दौरान कहा,

“यह लड़ाई राजनीतिक नहीं, संविधान बचाने की लड़ाई है। यह ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ की लड़ाई है…”
और यह सत्य देश के सामने है।

  • लोकतंत्र पर हमला: शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा,

“विश्व देख रहा है कि भारत में लोकतंत्र की हत्या हो रही है”
और इसे सरकार का लोकतांत्रिक अधिकारों पर अवैध हस्तक्षेप बताया।

  • दिल्ली पुलिस का ब्योरा: पुलिस ने कहा कि चुनाव आयोग (EC) ने मार्च के लिए 30 सांसदों को मुलाकात की अनुमति दी थी, लेकिन प्रत्यक्ष मार्च में शामिल होने वाले सांसदों की संख्या उससे कहीं अधिक थी, इसलिए कार्रवाई की गई।

व्यापक प्रतिक्रियाएँ और असर

आर्थिक और मीडिया समीक्षा

  • अंतरराष्ट्रीय मीडिया: AP और Reuters ने इस घटना को प्रकाशित किया, जिसमें विरोध मार्च, गिरफ्तारियाँ, और राजनैतिक आरोप—सब शामिल हुए। AP ने बताया कि SIR में लगभग 8 करोड़ मतदाताओं की सूची प्रभावित हो सकती है, जिससे वंचित वर्ग—विशेषकर मुसलमानों—को भारी नुकसान होगा।
  • राजनीतिक टकराव बढ़ा: चुनाव आयोग और भाजपा ने विपक्ष के आरोपों का खंडन किया और इसे राजनीतिक तोड़ने की कोशिश बताया था।

आगे की रणनीतियाँ

  • कांग्रेस ने पूरे देश में ‘मशाल मार्च’, हस्ताक्षर अभियान और रैलियों की घोषणा की है—वोट चोरी के खिलाफ जनता का समर्थन जुटाने हेतु।
  • विपक्ष में एकजुटता देखने को मिली है। राहुल गांधी की अगुवाई में INDIA ब्लॉक ने यह संदेश देने की कोशिश की कि यह सिर्फ एक राजनैतिक संघर्ष नहीं, लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की लड़ाई है।

दिल्ली का यह प्रदर्शन दर्शाता है कि SIR विवाद अब सिर्फ बिहार का मुद्दा नहीं—बल्कि देशभर में लोकतांत्रिक संघर्ष का प्रतीक बन चुका है। संसद से चुनाव आयोग तक का यह मार्च, भारतीय राजनीति में संवैधानिक अधिकारों, चुनावी पारदर्शिता, और प्रशासनिक जवाबदेही का संघर्ष है। जहाँ एक ओर विपक्ष “वोट चोरी” की संभावना पर संसद में बहस चाहता है, वहीं सरकार और चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को संतुलित सुधार बताकर खुद को बचाने की कोशिश में हैं।

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