
यमुनोत्री – यमुना नदी का उद्गम स्थल:
चारधाम यात्रा का पहला धाम यमुनोत्री उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहाँ से पवित्र यमुना नदी का उद्गम माना जाता है, जो हिन्दू धर्म में गंगा के बाद दूसरी सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। यमुनोत्री समुद्र तल से लगभग 3,293 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और यहाँ देवी यमुना का मंदिर है, जो 19वीं शताब्दी में बनाया गया था।
स्थान और भौगोलिक स्थिति:
यमुनोत्री समुद्र तल से लगभग 3,293 मीटर (10,804 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह स्थान गढ़वाल हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में आता है। यहाँ का मुख्य आकर्षण यमुनोत्री मंदिर और सूर्यकुंड है।
यमुनोत्री का पौराणिक महत्व:
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यमुना माता को सूर्य देव और संवर्णा की पुत्री तथा यमराज की बहन माना जाता है।
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ऐसी मान्यता है कि जो भक्त यमुनोत्री में स्नान करता है, उसे यमलोक में कष्ट नहीं भोगना पड़ता।
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इस स्थान पर तपस्या करनेवाले ऋषि अष्टक और याज्ञवल्क्य की कथाएँ भी प्रसिद्ध हैं।
यमुनोत्री मंदिर:
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यह मंदिर 18वीं सदी में बनाया गया था और बाद में महाराजा प्रताप शाह द्वारा पुनर्निर्मित किया गया।
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मंदिर में काले रंग की यमुना माता की मूर्ति स्थापित है, जो भक्तों के लिए विशेष पूजनीय है।
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मंदिर केवल मई से अक्टूबर तक ही खुला रहता है। शीतकाल में इसे बंद कर दिया जाता है और खरसाली गाँव में यमुना जी की पूजा होती है।
सूर्यकुंड और दिव्य कुंड:
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मंदिर के पास स्थित सूर्यकुंड एक गर्म पानी का स्रोत है, जहाँ तापमान इतना अधिक होता है कि चावल या आलू कुछ ही मिनटों में पक सकते हैं।
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तीर्थयात्री यहाँ कच्चे चावल एक कपड़े में बाँधकर सूर्यकुंड में डालते हैं और फिर उन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
यात्रा मार्ग:
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यमुनोत्री तक सीधी सड़क नहीं जाती।
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अंतिम मोटर मार्ग जानकी चट्टी है, जहाँ से यमुनोत्री मंदिर तक 6 किलोमीटर की पदयात्रा करनी होती है।
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इस रास्ते में घोड़े, डंडी, कंडी और पालकी की सुविधाएँ भी उपलब्ध होती हैं।
यात्रा का समय:
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यात्रा की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन होती है और भैयादूज तक चलती है।
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इस अवधि में लाखों श्रद्धालु माँ यमुना के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं।
आध्यात्मिक लाभ:
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यमुनोत्री यात्रा से व्यक्ति को पापों से मुक्ति, मानसिक शांति, और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
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कहा जाता है कि यमुना में स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
यमुनोत्री केवल एक तीर्थ स्थान नहीं, बल्कि आस्था, अध्यात्म और प्रकृति की दिव्यता का अद्भुत संगम है। हिमालय की गोद में बसी यह भूमि जीवन के पवित्रतम अनुभवों में से एक प्रदान करती है।
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