
बद्रीनाथ: विष्णु का पवित्र धाम, अलकनंदा के किनारे:
उत्तराखंड चारधाम यात्रा का चौथा और अंतिम धाम बद्रीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और हिंदू धर्म में इसे मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना गया है। हिंदू धर्म का यह प्रमुख धाम माना जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,133 मीटर की ऊँचाई पर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है।
स्थान और ऊँचाई:
- बद्रीनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,133 मीटर (10,279 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है।
- यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर बसा है।
- चारों ओर बर्फ से ढके पहाड़ और प्राकृतिक सौंदर्य इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं।
धार्मिक महत्व और कथा:
- पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने नारायण रूप में यहाँ तपस्या की थी।
- देवी लक्ष्मी ने उन्हें तेज हवाओं और बर्फ से बचाने के लिए बदरी (जंगली बेर) के पेड़ का रूप लिया और उनके सामने छाया बनकर बैठ गईं।
- इससे प्रभावित होकर विष्णु जी ने इस स्थान का नाम बद्रीनाथ रख दिया।
- बद्रीनाथ को विष्णुपदी भी कहा जाता है — जहाँ विष्णु के चरणों से जल निकलता है।
बद्रीनाथ मंदिर का विवरण:
- यह मंदिर शंकराचार्य द्वारा 9वीं सदी में पुनर्स्थापित किया गया था।
- मंदिर का स्थापत्य शैली उत्तर भारतीय है, और इसका शिखर लगभग 50 फीट ऊँचा है।
- मंदिर में भगवान बद्रीनाथ (विष्णु) की काले पत्थर की एक मूर्ति है, जिसे शालिग्राम शिला से निर्मित माना जाता है।
- साथ ही मंदिर में नर-नारायण, उद्धव, कुबेर, गरुड़ आदि की मूर्तियाँ भी हैं।
तप्त कुंड और नारद कुंड:
- मंदिर के सामने तप्त कुंड नामक गरम जल का स्रोत है, जहाँ श्रद्धालु स्नान करते हैं।
- पास में ही नारद कुंड है, जहाँ से भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति प्राप्त हुई थी।
अध्यात्म और तपस्थली:
- यह क्षेत्र कई ऋषियों, मुनियों और तपस्वियों की साधना स्थली रही है।
- नारायण पर्वत, नीलकंठ पर्वत, और सत्यनारायण गुफा इसके निकटवर्ती तपस्थल हैं।
यात्रा और पहुंच मार्ग:
- निकटतम रेलवे स्टेशन: ऋषिकेश (295 किमी)
- निकटतम हवाई अड्डा: जॉलीग्रांट, देहरादून
- बद्रीनाथ तक सड़क मार्ग से पहुँचने के लिए जोशीमठ, गोपेश्वर, चमोली आदि प्रमुख पड़ाव हैं।
मंदिर खुलने और बंद होने का समय:
- मंदिर का कपाट हर वर्ष अक्षय तृतीया को खोला जाता है और दीपावली के बाद भैया दूज तक खुला रहता है।
- सर्दियों में भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति को जोशीमठ (नरसिंह मंदिर) ले जाया जाता है।
मौसम और यात्रा काल:
- यात्रा के लिए मई से जून और सितंबर से अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त होता है।
- सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण यह स्थान जनसंपर्क से कट जाता है।
बद्रीनाथ एक दिव्य भूमि है जहाँ भक्ति, प्रकृति और मोक्ष का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का गौरवपूर्ण प्रतीक भी है।