
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा एक बार फिर पेपर लीक विवाद में फंस गई है। रविवार को आयोजित परीक्षा शुरू होने के महज 35 मिनट बाद ही प्रश्नपत्र के तीन पन्ने सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। जांच में पता चला कि पेपर का केवल एक सेट हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से बाहर गया था और यह सीधे अभ्यर्थी खालिद मलिक से जुड़ा था। खालिद की बहन और सहायक प्रोफेसर सुमन के माध्यम से प्रश्नों के उत्तर जुटाने की कोशिश की गई।
इसी बीच STF ने पेपर लीक गिरोह के मास्टरमाइंड हाकम सिंह और उसके सहयोगी पंकज गौड़ को गिरफ्तार किया। आरोप है कि दोनों ने छह अभ्यर्थियों से 12–15 लाख रुपये लेकर परीक्षा पास कराने का वादा किया था। STF के पास रुपये मांगने की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मौजूद है।
यह मामला कई गंभीर सवाल उठाता है – मोबाइल सेंटर में कैसे पहुंचा, जैमर कैसे फेल हुए और कर्मचारियों की भूमिका क्या थी। आयोग और पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। लगातार दोहराए जा रहे ऐसे पेपर लीक मामलों ने परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर गहरा संकट पैदा कर दिया है और युवाओं के भरोसे को चोट पहुंचाई है।
उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा, जो रविवार को प्रदेशभर के 445 केंद्रों पर आयोजित हुई थी, शुरुआत के कुछ ही मिनटों बाद विवादों में घिर गई। परीक्षा शुरू होने के करीब 35 मिनट बाद सोशल मीडिया पर प्रश्नपत्र के तीन पन्ने वायरल होने लगे, जिसने अभ्यर्थियों और आयोग दोनों को सकते में डाल दिया।
यह घटना तब और गंभीर मानी जाने लगी जब कुछ ही घंटे पहले STF ने पेपर लीक गिरोह के मास्टरमाइंड हाकम सिंह और उसके सहयोगी पंकज गौड़ को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि दोनों ने छह अभ्यर्थियों से 12 से 15 लाख रुपये लेकर परीक्षा पास कराने का सौदा किया था। STF के पास इस बात के ऑडियो साक्ष्य भी मौजूद हैं।
पेपर लीक की शुरुआत और सोशल मीडिया पर वायरल प्रश्नपत्र
रविवार सुबह 11 बजे परीक्षा शुरू हुई। केवल 35 मिनट बाद यानी 11:35 बजे ही प्रश्नपत्र के कुछ हिस्से सोशल मीडिया पर दिखने लगे। दावा किया गया कि यह पेपर लीक का मामला है। परीक्षा के बाद जब अभ्यर्थियों ने वायरल प्रश्नपत्र का मिलान किया तो कई सवाल हूबहू समान पाए गए।
आयोग की ओर से सभी परीक्षा केंद्रों पर मोबाइल जैमर लगाए गए थे ताकि किसी भी तरह की ऑनलाइन गतिविधि रोकी जा सके। इसके बावजूद पेपर के स्क्रीनशॉट्स बाहर आना सुरक्षा तंत्र की नाकामी को उजागर करता है। आयोग ने तुरंत SSP देहरादून और STF को मामले की जांच के निर्देश दिए।
जांच में सामने आए नाम : खालिद मलिक और नेटवर्क
देहरादून पुलिस और STF की प्रारंभिक जांच में पता चला कि पेपर का केवल एक सेट ही हरिद्वार के एक सेंटर से बाहर गया था। यह कनेक्शन सीधे एक अभ्यर्थी खालिद मलिक से जुड़ा पाया गया। खालिद परीक्षा देने सेंटर पर बैठा था और उसके लिए ही पेपर बाहर भेजा गया।
जांच में सामने आया कि खालिद की बहन हीना ने प्रश्नपत्र के स्क्रीनशॉट प्राप्त किए और उन्हें टिहरी की सहायक प्रोफेसर सुमन तक पहुंचाया। सुमन से सवालों के जवाब मांगे गए और उन्होंने उत्तर भी भेज दिए। बाद में जब सुमन को शक हुआ तो उन्होंने इस मामले की जानकारी अपने परिचित बॉबी पंवार को दी। आरोप है कि बॉबी ने सुमन को पुलिस में जाने से रोका और इस मामले को सोशल मीडिया पर सनसनीखेज तरीके से प्रचारित किया।
STF की बड़ी कार्रवाई : मास्टरमाइंड हाकम सिंह गिरफ्तार
इसी बीच STF ने परीक्षा से ठीक पहले हाकम सिंह और उसके सहयोगी पंकज गौड़ को गिरफ्तार कर लिया। दोनों पर अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूलने के गंभीर आरोप हैं। STF की जांच में यह तथ्य सामने आया कि पंकज गौड़ ने छह अभ्यर्थियों से संपर्क किया और 12–15 लाख रुपये के बदले परीक्षा पास कराने का वादा किया।
पूछताछ में गौड़ ने कबूल किया कि वह इस पूरे रैकेट में हाकम सिंह के साथ काम करता है। STF के पास एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है जिसमें उम्मीदवार से 15 लाख रुपये की मांग साफ सुनी जा सकती है।
बड़े सवाल : सुरक्षा व्यवस्था की पोल
यह पूरा मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है।
- सेंटर में मोबाइल कैसे पहुंचा? – परीक्षा नियमों के अनुसार मोबाइल फोन पूरी तरह प्रतिबंधित थे। इसके बावजूद स्क्रीनशॉट्स बाहर गए।
- जैमर कैसे फेल हुए? – सभी सेंटर पर जैमर लगाए गए थे। ऐसे में मोबाइल सिग्नल का काम करना और फोटो लीक होना चौंकाने वाला है।
- कर्मचारियों की भूमिका – जांच एजेंसियों को शक है कि सेंटर पर तैनात कुछ कर्मियों ने मिलीभगत की, या तकनीकी सहयोग मिला जिसकी वजह से जैमर नाकाम हुए।
आयोग और पुलिस का पक्ष
आयोग अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया का कहना है कि इसे सीधे पेपर लीक कहना उचित नहीं है क्योंकि घटना परीक्षा शुरू होने के बाद हुई। लेकिन आयोग ने भी स्वीकार किया कि मामला बेहद गंभीर है और इसकी विस्तृत जांच जरूरी है।
वहीं देहरादून SSP अजय सिंह ने कहा कि पेपर लीक तभी माना जाता है जब प्रश्न परीक्षा से पहले बाहर आ जाएं। इस मामले में पेपर परीक्षा के दौरान बाहर गया, जिससे शुचिता पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। पुलिस ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश 2023 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है और विशेष जांच दल गठित कर दी गई है।
पुराने कांड और भरोसे पर चोट
यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड में भर्ती परीक्षा पेपर लीक का मामला सामने आया है। दिसंबर 2021 में भी स्नातक स्तरीय परीक्षा का पेपर लीक हुआ था और उसी मामले में हाकम सिंह आरोपी बनाया गया था। उस समय परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी।
लगातार दोहराई जा रही घटनाओं ने युवाओं के भरोसे को झकझोर कर रख दिया है। लाखों अभ्यर्थी अपनी मेहनत और भविष्य दांव पर लगाकर परीक्षाओं में बैठते हैं, लेकिन कुछ लोग पैसों के लालच में व्यवस्था को ध्वस्त कर देते हैं।
आगे की राह
STF और पुलिस की जांच जारी है। खालिद मलिक की गिरफ्तारी के बाद और भी नाम सामने आने की संभावना है। हाकम सिंह और पंकज गौड़ जेल भेजे जा चुके हैं और उनके पुराने संपर्कों की जांच की जा रही है। आयोग ने वादा किया है कि परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
हालांकि बार-बार हो रहे ऐसे पेपर लीक कांडों ने सरकारी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है। अब देखना होगा कि सरकार और एजेंसियां कितनी पारदर्शिता और सख्ती से आगे बढ़ती हैं।
उत्तराखंड में पेपर लीक का यह नया कांड सिर्फ एक सेंटर या कुछ लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे तंत्र की कमजोरियों को उजागर करता है। एक ओर STF की त्वरित कार्रवाई से गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है, तो दूसरी ओर आयोग और पुलिस को अब यह साबित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। तभी युवाओं का विश्वास बहाल हो पाएगा।