मणिपुर में जारी अशांति और कानून-व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति के बीच, संसद ने राष्ट्रपति शासन की अवधि को 6 महीने के लिए और बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय केंद्र सरकार की सिफारिश पर लिया गया है, ताकि राज्य में शांति बहाली और प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
पृष्ठभूमि
मणिपुर में पिछले साल से जातीय हिंसा और टकराव की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। हालात बिगड़ने के बाद मई 2024 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। तब से अब तक हिंसा, सड़क जाम, और बंद जैसी घटनाएँ रुक-रुक कर जारी रही हैं, जिसके चलते सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।
संसद में बहस
राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के प्रस्ताव पर संसद में चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा कि राज्य में अभी भी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों की तैनाती, राहत शिविरों का संचालन और पुनर्वास कार्य जारी है।
विपक्षी दलों ने भी हालात पर चिंता जताई, लेकिन उनमें से अधिकांश ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, ताकि राज्य में कानून-व्यवस्था बहाल की जा सके।
राष्ट्रपति शासन क्यों जरूरी
- राज्य सरकार का प्रशासनिक तंत्र ठप
- जातीय हिंसा की आशंका बरकरार
- पुनर्वास और राहत कार्य अधूरे
- सुरक्षा बलों पर निरंतर दबाव
आगे की योजना
केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि आने वाले महीनों में मणिपुर में शांति वार्ता और पुनर्विकास योजनाओं को तेज किया जाएगा। इसके साथ ही, सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा ताकि लोग अपने घर सुरक्षित लौट सकें।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार यह दर्शाता है कि राज्य को स्थिरता और सामान्य स्थिति में लौटने में अभी समय लगेगा। आने वाले 6 महीने प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे।